मुरादाबाद।एसटी हसन का टिकट काटने के बाद शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म है 52% मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र में समाजवादी पार्टी का हमेशा से दबदबा रहा है समाजवादी पार्टी का गढ़ सैफई माना जाता रहा है परंतु मुरादाबाद मंडल में भी सपा को लोगों ने भर भर के वोटो से नवाजा है ऐसे में बड़े नाटकीय ढंग से लोकप्रियर और जिताऊ नेता का टिकट काटना मुरादाबाद संसदीय क्षेत्र की जनता को रास नहीं आ रहा है।बाहरी उम्मीदवार रुचि वीरा को लोग अभी से ही प्रवासी उम्मीदवार कह रहे हैं। सूत्रों की माने तो आजम खान ने सीतापुर जेल में अखिलेश यादव से मुलाकात के दौरान यह बात कही थी की इस बार मुरादाबाद में नए चेहरे कोर टिकट दिया जाए, यह सीधा संकेत था की एसटी हसन को इस बार उम्मीदवार न बनाया जाए, इसके बाद ही रुचि वीरा को सपा प्रत्याशी बनाया गया जबकि अखिलेश यादव ने पहले से ही डॉक्टर एसटी हसन पर दोबारा दांव लगाने का मन बना रखा था। यहीफ़ कारण रहा की डॉक्टर एसटी हसन पूरी तरह से निश्चित थे और उन्होंने नामांकन करा लिया था,लेकिन आजम खान के निर्णय का सम्मान रखने के लिए अखिलेश यादव ने आनंद-फानन में रुचि वीरा को प्रत्याशी घोषित कर मुरादाबाद की जनता को चौंका दिया।अभीतक न्यूज़ भारत के संवाददाता ने मुरादाबाद के लोगों की राय जानने की कोशिश की तो पता चला की मुस्लिम मतदाताओं में पार्टी के इस फैसले को लेकर भारी रोष है। लोगों का कहना है कि मुस्लिम बहुल क्षेत्र में हिंदू उम्मीदवार उतार कर सपा ने गलत निर्णय लिया है। मुरादाबाद में डॉक्टर एसटी हसन के समर्थकों की संख्या बहुत ज्यादा है। और मुस्लिम चेहरा होने के कारण वह मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसंद है। कुछ लोगों ने तो यहां तक कहा की शहर में और भी तो नामचीन मुस्लिम नेता मौजूद थे। यदि डॉक्टर एसटी हसन का टिकट काटना इतना जरूरी था तो किसी अन्य मुस्लिम नेता को उम्मीदवार क्यों नहीं बनाया गया, कुछ लोगों ने यहां तक कह दिया कि जानबूझकर मुरादाबाद लोकसभा की संसदीय सीट चुनाव लड़ने से पहले ही विपक्ष की झोली में डाल दी गई है वैसे तो चुनावी नतीजे खुद बता देंगे की सपा ने मास्टर स्ट्रोक खेला है या धुआं बम।लेकिन डैमेज कंट्रोल करने के लिए सपा हाई कमान को अभी से ही कसरत तेज करनी होगी पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारी को राजी करना आसान नहीं दिख रहा है।