सामान्य रूप से दिन में बढ़ा ब्लड प्रेशर रात में पर्याप्त नींद के बाद स्वत: ही घट जाता है। पर जिन्हें हाई बीपी है उनमें रात में भी पर्याप्त नींद के बाद बीपी लेवल में कमी नहीं आती है। इसे सामान्य करने के लिए दवा लेने की जरूरत होती है। जब दवा नहीं लेते हैं तो ब्लड नलियों में दबाव बढ़ता तब ब्रेन स्ट्रोक खतरा होता है।
सर्दी में सुबह 4-5 बजे सबसे अधिक ठंडी होती है। ऐसे में जब शरीर को सर्दी का एक्सपोजर होता है तो शरीर उसे नियंत्रित करने का प्रयास करता है, बीपी बढ़ता है और स्थिति बिगड़ने पर ब्रेन स्ट्रोक होता है। अध्ययन बताते हैं कि हर 5 डिग्री सेल्सियस कम तापमान पर 6% तक स्ट्रोक का रिस्क बढ़ता है।
ब्रेन स्ट्रोक के प्रकार
ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं। खून की नसों में क्लॉटिंग होने से दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन में परेशानी होती है, जो इस्केमिक स्ट्रोक की वजह बन सकता है। वहीं, दिमाग के अंदर खून की नस फटने से हैमरेजिक स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज होने की आशंका अधिक रहती है। ऐसे में बदलते मौसम में उन लोगों को सावधान रहने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, जो पहले से ही किसी क्रॉनिक बीमारी से जूझ रहे हैं क्योंकि थोड़ी सी भी लापरवाही खतरे में डाल सकती है। इसलिए सावधानी बरतें।
इन्हें खतरा ज्यादा, क्या लक्षण आते हैं
डायबिटीज, हाई बीपी और कोलेस्ट्राल रोगियों, गर्भवती महिलाएं, 55 साल से ज्यादा वाले लोग और जिनमें खून की कमी है उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ब्रेन स्ट्रोक होने पर हाथ-पैर के मूवमेंट में परेशानी, सोचने और समझने की ताकत कम होना, ठीक तरीके से बोल न पाना, सांस लेने में परेशानी, सिरदर्द के साथ-साथ उल्टी आदि लक्षण दिख सकते हैं।