सतयुग दर्शन संगीत कला केन्द्र द्वारा पंचायत भवन सभागार में संगीत बैठक का आयोजन किया गया l
मुरादाबाद।बच्चो में भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रति रुचि पैदा करने के लिए सतयुग दर्शन संगीत कला केन्द्र द्वारा पंचायत भवन के सभागार में ‘संगीत बैठक’ सीजंन 3 किया गया। विद्यार्थियों को अपनी संस्कृति से जुड़े रखने के लिए सतयुग दर्शन संगीत कला केन्द्र द्वारा समय-समय पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहता है। इसी शृंखला के अन्तर्गत यह कार्यक्रम संगीत बैठक” किया गया । जिसमें प्रसिद्ध कथक कृतिका श्रीमति अंकिता बिन्द्रा जी बरेली से मंच पर भव्य प्रस्तुति से विद्यार्थियों को नृत्य की बारीकियों से अवगत करायाl
मुख्य अतिथि श्रीमति मिनाक्षी सिंह (धर्मपत्नी एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, अमरोहा) हा समाज सेविका श्रीमति मानुषी रस्तोगी श्रीमान पूजा व दीपेन्द्र कान्त प्राचार्य ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
दीपेन्द्र कांत जी ने बताया कि सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र के पंख दिल्ली, फरीदाबाद, पानीपत, अबाला, जालंधर, लुधियाना, रोहतक जैसे विभिन्न शहरों में फैले हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कला केंद्र प्रयाग संगीत समिति, प्रयागराज से संबद्ध है जो 1926 से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दे रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र बिना किसी भेदभाव के गायन, वाद्य और नृत्य तीनों विधाओं में शिक्षा प्रदान करता है। उन्होंने प्रतिभागियों को यह कहकर प्रेरित किया कि संगीत केवल एक प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि यह एकता, सद्भाव और हम में से प्रत्येक के भीतर पनपने वाली
असीमित रचनात्मकता का उत्सव है। उन्होंने सभी को संदेश दिया कि संगीत और नृत्य की कालातीत विरासत का उपयोग ‘सतयुग’ में भी मनुष्यों में मजबूत सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों को स्थापित करने के लिए प्रभावी ढंग से किया था ताकि वे एक सदाचारी जीवन जी सकें। मानवता के तत्कालीन संविधान के अनुसार यह प्रथा प्रत्येक प्राणी के मन, आचरण, व्यवहार और अंतर्निहित प्रतिभा को दृढ़तापूर्वक उत्कृष्टता प्रदान करने में सहायक थी और इस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति सज्जनता और सभ्यता के क्षेत्र में बौद्धिक उत्कृष्टता का प्रतीक था। संगीत एक प्रभावशाली माध्यम है, इसकी गुणवत्ता का समाज के उत्थान या पतन पर असर पड़ता है। सच्चे संगीतकारों को मानवता के पतन के प्रति मूकदर्शक नहीं बने रहना चाहिए। उन्हें अपनी प्रतिभा और कौशल को समय-परीक्षित मानवीय मूल्यों और नैतिकता को पुनर्जीवित करने के लिए समर्पित करना चाहिए। जान लें कि संगीत केवल सौंदर्य या मानसिक उत्कृष्टता के प्रदर्शन के लिए ही नहीं, बल्कि इस दृढ़ विश्वास के साथ भी प्रचलन में आया कि “आत्मा” का ज्ञान सीधे एकाग्रचित्त मन तक पहुंच योग्य है। इसके अलावा, शुद्ध संगीत की शक्ति दिव्य मार्ग बनने में सक्षम है और इस उद्देश्य के साथ सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र अस्तित्व में आया ताकि मानव जाति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास को बढ़ाया जा सके जो स्वस्थ मन और आत्मा के लिए परम आवश्यक है। इस मिशन को प्राप्त करने के लिए, आइए हम मन में संतुलन बहाल करने और “आनंद” की स्थिति पैदा करने के लिए पूरे जोश और उत्साह के साथ एक साथ आएं।
कार्यक्रम में सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र की केंद व्यवस्थापक श्रीमती संगीता सिक्का ने धन्यावाद ज्ञापन किया l कार्यक्रम में मंच संचालन रमणीय सिक्का और अंजू ने ने किया।